कैबिनेट मिशन से क्या आशय है ? भारतीय नेताओं के साथ इसकी बातचीत के क्या नतीजे निकले ? (What is meant by cabinet mission? What was the outcome of its talks with the Indian leaders? - In Hindi )
अथवा , कैबिनेट मिशन योजना , 1946 के गुण - दोष का वर्णन कीजिए । (Describe the merits and demerits of the Cabinet Mission Plan, 1946. - In Hindi)
उत्तर- द्वितीय महायुद्ध की समाप्ति के पश्चात् ब्रिटेन में चुनाव हुए और वहाँ श्रमिक दल की सरकार बनी । प्रधानमंत्री का पद सर क्लेमेट ऐटनी ने सँभाला । उन्हें भारतीयों के साथ सहानुभृति थी और वह भारतीय समस्या का समाधान अति शीघ्र कर देना चाहते थे । इस उद्देश्य से उन्होंने भारत में एक मंत्रिमंडल अथवा कैबिनेट मिशन भेजने की घोषणा की । इस मिशन को किसी भी प्रकार का निर्णय का पूरा अधिकार था ।
मिशन का भारत आगमन ( Arrival of the Mission in India ) - ऐटली की घोषणा के अनुसार एक मंत्रिमंडलीय मिशन मार्च , 1946 ई ० में भारत पहुँचा । मिशन के तीन सदस्य थे - लॉर्ड पैथिक लौरेंस , सर स्टैफ्फर्ड क्रिप्स तथा ए . वी . अलेक्जेण्डर । मिशन ने भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों से बातचीत की और कुल मिलाकर 472 भारतीय नेताओं से भारतीय समस्याओं पर विचार - विमर्श किया । इतना प्रयास करने के बावजूद भी वह सांप्रदायिक समस्या तथा पाकिस्तान की माँग के विषय में किसी ठोस निष्कर्ष पर न पहुँच सका । इस प्रश्न का समाधान करने के लिए शिमला में काँग्रेस और मुस्लिम लीग का सम्मिलित अधिवेशन बुलाया गया । अंत में मिशन ने दोनों को अपने निर्णयों पर राजी कर लिया । 16 जुलाई , 1946 ई ० के दिन कैबिनेट मिशन ने अपनी योजना प्रस्तुत की । इस योजना के गुण - दोष का वर्णन इस प्रकार है
( i ) गुण ( Merits ) - कैबिनेट मिशन की योजना कई उद्देश्यों की पूर्ति हुई
- इस योजना के अनुसार पाकिस्तान की माँग को स्वीकार कर लिया गया था और भारत की अखंडता और राष्ट्रीय एकता को सुरक्षित रखा गया था ।
- इसमें संविधान सभा की व्यवस्था , उसके द्वारा संविधान का निर्माण तथा सभा के सदस्यों के निर्वाचन की व्यवस्था से भारत के भावी संविधान को प्रजातांत्रिक आधार प्रदान करने का शानदार प्रयास था ।
- संविधान सभा में सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व को अत्यंत सीमित कर दिया गया था ।
- संविधान बनने तक अंतरिम सरकार की व्यवस्था भी एक शानदार योजना थी । यह सरकार पूर्ण रूप से भारतीय होनी थी ।
- योजना के अनुसार देशी राज्यों की जनता के साथ भी न्याय किया गया था । अब देशी रियासतों के प्रतिनिधित्व की व्यवस्था भी कर दी गई थी । विशेष बात यह थी कि ये प्रतिनिधि राजाओं द्वारा मनोनीत न होकर एक मध्यस्थ समिति द्वारा निर्धारित किए जाने थे ।
- भारत को ब्रिटिश राष्ट्रमंडल की सदस्यता छोड़ने का अधिकार दिया जाना स्वतंत्रता प्राप्ति का स्पष्ट चिह्न था ।
- मुस्लिम लीग की संतुष्टि के लिए भी योजना में लगभग सभी महत्त्वपूर्ण व्यवस्थाएँ की गई थीं । उदाहरण के लिए प्रांतों को मिलाना , सांप्रदायिक चुनाव व्यवस्था तथा सांप्रदायिक प्रश्न पर निर्णय लेने के लिए संबंधित जातियों के प्रतिनिधियों के बहुमत की व्यवस्था इत्यादि ।
( ii ) दोष ( Demerits ) -
- भारत संघ की व्यवस्था ही एक अच्छा प्रयास था , परन्तु संघ के केंद्र की शक्तियाँ बहुत कम थीं । इसे केवल विदेश नीति , सुरक्षा तथा संचार संबंधी विषय ही सौंपे गए थे जिनके आधार पर कोई भी केंद्रीय सरकार सफल नहीं हो सकती थी ।
- कैबिनेट मिशन का दूसरा मुख्य दोष यह था कि प्रांतों को ग्रुपों में बाँटने का आधार सांप्रदायिक भी हो सकता था । इसके बाद भी पाकिस्तान के निर्माण की संभावना हो सकती थी ।
- भावी संविधान का आधार प्रजातान्त्रिक अवश्य था , परंतु उसमें अधिक ठोसता नहीं थी ।
- योजना में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि प्रांतों का वर्गीकरण अनिवार्य है अथवा नहीं । इस बात पर काँग्रेस और मुस्लिम लीग में मतभेद आरंभ हो गया , क्योंकि काँग्रेस इसे ऐच्छिक समझती थी जबकि लीग आवश्यक मानती थी ।
- देशी रियासतों के लिए यह अनिवार्य नहीं था कि वे भारत संघ में शामिल हों । यह बात भारतीय अखंडता और एकता के विरुद्ध थी ।
- संविधान सभा की शक्तियाँ सीमित थीं । उसे योजना की सिफारिशों से हट कर संविधान बनाने का अधिकार नहीं था ।
- अंतरिम सरकार की शक्तियाँ निश्चित नहीं थीं । साथ ही उसमें सिफारिशों से हटकर संविधान बनाने का अधिकार नहीं था ।
- ' प्रांतीय समूहीकरण ' सिक्खों के हितों के सर्वथा विपरीत था । अधिकांश सिक्ख पंजाब में ही थे , अतः मुस्लिम प्रांतों का समूह बन जाने के पश्चात् उन्हें मुस्लिम लीग की दया पर ही निर्भर रहना पड़ता था ।
- अंतरिम सरकार की अवधि भी स्पष्ट नहीं की गई थी । इस विषय में कुछ नहीं कहा गया था कि ब्रिटेन कब और किस समय भारत को सत्ता हस्तांतरित करेगा ।
- योजना का सबसे बड़ा दोष यह था कि इसे केवल स्वीकार अथवा अस्वीकार ही किया जा सकता है । इसमें किसी अन्य आवश्यक सुधार के लिए सुझाव देना असंभव था ।