Ques. - बौद्ध धर्म के पतन के कारण लिखें। (Write the reasons for the decline of Buddhism.)
1. हिन्दू धर्म में सुधार ( Reforms in Hinduism ) - हिन्दू धर्म के असंख्य देवी - देवता हैं । अतः उन्होंने गौतम बुद्ध को भी अवतार मानकर उसकी भी पूजा अर्चना शुरू कर दी । इनके कुछ सिद्धान्तों जैसे सत्य और अहिंसा को ग्रहण कर लिया । ब्राह्मणों एवं हिन्दू विद्वानों के समय पर चेत जाने के कारण हिन्दू धर्म का विघटन रुक गया । जो लोग हिन्दू धर्म छोड़कर चले गये थे उसे उन्होंने पुनः स्वीकार कर लिया ।
2. बौद्ध धर्म का विभाजन ( Split in Buddhism ) - कनिष्क के काल में बौद्ध धर्म का विभाजन हीनयान और महायान के रूप में हो गया था । महायान शाखा को मूर्तिपूजा की छूट दी गई जिसके फलस्वरूप कई लोगों ने फिर से इस धर्म में प्रवेश पा लिया , जो पहले इसे छोड़ चुके थे ।
3. बौद्ध मठों में भ्रष्टाचार ( Corruption in the Buddhist Sanghas ) - मठों में सुख - सुविधाओं के मिल जाने तथा स्त्रियों को भिक्षुणी बनाने की छूट दिये जाने के कारण मठों में भ्रष्टाचार फैल गया । भिक्षु तथा भिक्षुणियाँ धार्मिक कार्यों की आड़ में विषय - वासनाओं में लग गये । उनका चरित्र भ्रष्ट हो गया । उनके सब त्याग , तपस्या व आदर्श मिट्टी में मिल गये । गौतम बुद्ध के उपदेशों को भूलकर वे वासनाओं में लिप्त हो गये जिससे समाज पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा ।
4. राजकीय सहायता का न मिलना ( Loss of Royal Patronage ) - कनिष्क की मृत्यु पश्चात् बौद्धों को राजकीय सहायता मिलनी बन्द हो गई । गुप्त साम्राज्य के आ जाने के कारण हिन्दू धर्म का बढ़ावा मिलना प्रारम्भ हो गया । उधर बौद्ध धर्म धनाभाव के कारण अधिक दिनों तक नहीं चल सका ।
5. बौद्ध धर्म में जटिलता आना ( Arrival of complexity in the Buddhism ) - बौद्धों ने हिन्दुओं के कई सिद्धान्त ग्रहण कर लिये थे । जन - साधारण की भाषा को छोड़कर वे संस्कृत में साहित्य रचना करने लगे थे । अतः यह धर्म जनता की समझ से बाहर होने लगा था ।
6. हिन्दू उपदेशकों का आना ( Coming of the Hindu Missionaries ) - कुमरिल भट्ट और शंकराचार्य जैसे हिन्दू विद्वानों के मैदानों में आ जाने से बौद्ध विद्वानों की दाल गलनी बंद हो गई थी । वे इन सिद्धान्तों के तर्कों के सामने नहीं ठहर पाते थे ।
7. राजपूत शक्ति का विस्तार ( Rise of Rajopot Power ) - सातवीं से ग्यारहवीं शताब्दी तक सारे उत्तरी भारत में राजपूतों की सत्ता छा गई । राजपूत शक्ति के उपासक थे । वे अहिंसा को कामरता मानते थे । उनका मत था कि बौद्ध मत में अहिंसा का अर्थ मृत्यु को बुलावा देना होता, अत : अहिंसा आदि सिद्धान्त ताक पर रख दिये गये । इससे बौद्ध धर्म का प्रचार कार्य बन्द होने लगा और वे विदेशों में जाने लगे ।
8. मुसलमानों के आक्रमण ( The Muslim Invasions ) - बारहवीं शताब्दी में महमूद गजनवी और अन्य आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किये । बौद्धों में उनके आक्रमण का मुकाबला करने का साहस न था । अतः वे या तो मारे गये , या निकटवर्ती क्षेत्रों जैसे नेपाल , तिब्बत , बर्मा , श्रीलंका आदि में चले गये ।
9. हूणों का आक्रमण ( Invasions of the Hunas ) - बौद्धों की अधिकतम हानि हूणों द्वारा हुई । उन्होंने हजारों भिक्षुओं को मौत के घाट उतार दिया । उनके मठों को खण्डहर बना दिया गया । तक्षशिला आदि विश्वविद्यालयों को आग लगा दी तथा बौद्ध साहित्य को जला दिया गया । इस प्रकार से पंजाब , राजपूताना एवं उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त से बौद्धों का सफाया हो गया था ।