Ques. - सूफी विचारधारा पर प्रकाश डाले। (Throw light on Sufi ideology)
Answer. - इस्लाम धर्म के वैसे अनुयायी जो धार्मिक एवं राजनैतिक आडंबर , ऐश्वर्य , भौतिकता एवं विलासिता के विरूद्ध संन्यास , रहस्यवाद , भक्ति एवं सरलता में अपनी आस्था प्रदर्शित करते थे , वे सूफी कहलाते थै । सूफीवाद की शुरूआत दसवीं शताब्दी में ईरान में हुई थी। ग्यारहवीं शताब्दी में भारत में भी कई सूफी संत आये । वे भारत के विभिन्न भागों में बस गये और बहुत से भारतीय उनके अनुयायी बन गये । सूफियों ने ईश्वर के निकट पहुँचने के लिए प्रेम साधना और भक्ति का उपदेश दिया । उनका कहना था कि यदि व्यक्ति के हृदय में भगवान के प्रति सच्चा प्रेमभाव है तो वह भगवान और अपने साथी मनुष्यों के अधिक निकट आ जाता है । ये सूफी संत ईश्वर के सच्चे प्रेम के सामने प्रार्थना , उपवास और पूजापाठ को अधिक महत्त्व नहीं देते थे । ईश्वर के प्रेम के महत्त्व के कारण उनका दृष्टिकोण अन्य धर्मों और सम्प्रदायों के प्रति उदार था और उनका विश्वास था । कि ईश्वर के निकट पहुँचने के अनेक मार्ग हो सकते हैं । सूफियों के इस दृष्टिकोण से परम्परावादी उलेमा सहमत नहीं थे क्योंकि उनका कहना था कि सूफियों के कुछ सिद्धांत प्राचीन परम्परागत इस्लाम धर्म से मेल नहीं खाते हैं । बहुत - से - हिन्दू भी सूफी सन्तों का आदर सम्मान करते थे।
सूफी लोग कई वर्गों अर्थात् सिलसिलों में विभाजित थे। प्रत्येक सिलसिला का एक नेता होता था , जो प्रमुख रहस्यवादी होता था और अपने शिष्यों के साथ खानकाह आर्थात आश्रम में रहता था। सूफी विचारधारा में गुरू ( पीर ) और शिष्य ( मुरीद ) के बीच सम्बन्ध का महत्त्व बहुत अधिक था। प्रत्येक पीर अपने उत्तराधिकारी ( बली ) नियुक्त करता था , जो उसके बाद काम को आगे बढ़ाता था।
मुईनुद्दीन चिश्ती अपने समय के एक प्रसिद्ध सूफी संत थे। वे बहुत समय तक अजमेर में रहे । वहीं 1236 ई ० में उनकी मृत्यु हुई । उनका विश्वास था कि भक्ति - संगीत भी ईश्वर के निकट पहुँचने का एक रास्ता है । उलेमा धर्म में संगीत को कोई महत्त्व नहीं देते थे जबकि चिश्ती के अनुयायी धर्म सभाएँ ( महफिल ) करते थे , जिसमें गाया जाने वाला संगीत कव्वाली कहलाता था । उनके अनुयायी उनकी पुण्यतिथि अर्थात् उर्स पर उनके समाधि स्थल की तीर्थयात्रा ( जियारत ) करते हैं । एक अन्य महान् सूफी संत निजामुद्दीन औलिया थे , जो दिल्ली में रहते थे तथा जिनको सुल्तान और जनता दोनों का सम्मान प्राप्त था।