ग्राम पंचायत किसे कहते हैं? इसके संगठन पर प्रकाश डालें।

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प्रश्न 4. ग्राम पंचायत किसे कहते हैं? इसके संगठन पर प्रकाश डालें। 


उत्तर-देहात की स्थानीय संस्थाओं में ग्राम पंचायत का स्थान सबसे महत्त्वपूर्ण है। भारत में ग्राम पंचायत का इतिहास बहुत पुराना है। फिर भी, स्वतंत्रताप्राप्ति के बाद इसको पुनः गठित किया गया। 1947 ई० में बिहार में पंचायती राज कानून बना। इसके अनुसार पूरे राज्य में 1949 ई० में ग्राम पंचायतों की स्थापना की जाने लगी। 1959 ई० में इस कानून में संशोधन हुआ। पुनः 1990 ई० में ग्राम पंचायत (संशोधन) अधिनियम बना। पुनः 1993 ई० में बिहार पंचायत राज अधिनियम पारित किया गया है। भविष्य में इसी अधिनियम के अनुसार ग्राम पंचायतों का गठन किया जाएगा। इस अधिनियम की विशेषता यह है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के साथ-साथ पिछड़ी जातियों के लिए भी स्थान आरक्षित करने का प्रावधान है। यहाँ 1990 ई० के अधिनियम के अनुसार ही ग्राम पंचायत के गठन और कार्यों का वर्णन किया जा रहा है।

ग्राम पंचायत का संगठन - एक हजार आबादीवाले गाँव में ग्राम पंचायत का संगठन किया जा सकता है। ग्राम पंचायत एक या एक से अधिक गाँवों को मिलाकर भी स्थापित की जा सकती है। किसी गाँव की आबादी अधिक होने पर उस गाँव में एक से अधिक ग्राम पंचायतों की स्थापना हो सकती है। 1993 ई० के बिहार पंचायत अधिनियम के अनुसार सामान्यतः 7,000 आबादीवाले गाँव और गाँवों को मिलाकर एक ग्राम पंचायत की स्थापना होगी। पठारी क्षेत्र में 5,000 की आबादी पर एक ग्राम पंचायत की स्थापना होगी।

श्रेणी - 1959 ई० के बाद ग्राम पंचायतों को तीन श्रेणियों में बाँट दिया गया था-प्रथम श्रेणी की पंचायत, द्वितीय श्रेणी की पंचायत, तृतीय श्रेणी की पंचायत। अब ग्राम पंचायतों की श्रेणियाँ समाप्त कर दी गई हैं।

कार्यकाल - अब ग्राम पंचायत का कार्यकाल पाँच वर्ष तक हो गया है पहले श्रेणियों के अनुसार ग्राम पंचायतों के कार्यकाल अलग-अगल थे।

ग्राम पंचायत किसे कहते हैं? इसके संगठन पर प्रकाश डालें।

ग्राम पंचायत के मुख्य अंग 

(i) ग्रामसभा - ग्राम पंचायत की एक ग्रामसभा होती है। गाँव के सभी वयस्क स्त्री एवं पुरुष जिनकी अवस्था 18 वर्ष या अधिक है, इसके सदस्य होते हैं। पागल, दिवालिया और अपराधी ग्रामसभा के सदस्य नहीं होते। ग्रामसभा की बैठक हर तीन महीने पर एक बार होनी चाहिए। वैसे, मुखिया किसी समय सामान्य या विशेष अधिवेशन बुला सकता है अथवा ग्राम पंचायत के 1/10 सदस्यों की माँग पर आमसभा बुलाता है। ग्रामसभा जनवरी-मार्चवाली पहली तिमाही के सामान्य अधिवेशन में अन्य विषयों के साथ अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट पर भी विचार करती है तथा उसे स्वीकृत करती है। अगले अधिवेशनों के लिए विकास योजनाओं में प्रगति आदि पर विचार किया जाता है।

(ii) कार्यकारिणी समिति - ग्राम पंचायत की एक कार्यकारिणी समिति होती है। मुखिया कार्यकारिणी समिति का प्रधान होता है। कार्यकारिणी समिति में मुखिया को छोड़कर 16 सदस्य होते हैं। निर्वाचन के लिए पंचायत को 8 वार्डों में बाँट दिया जाता है और प्रत्येक से 2 सदस्य निर्वाचित होकर आते हैं।
  • मुखिया —- मुखिया ही सही रूप में ग्राम पंचायत का प्रधान होता है। मुखिया गाँव में शांति बनाए रखता है। मुखिया गाँव की सफाई एवं जनस्वास्थ्य के लिए भी उत्तरदायी है। वह पंचायत की समिति की रक्षा करता है। सरकारी मालगुजारी वसूलने में भी वह सरकार की सहायता करता है। सरकारी कर्ज की वसूली में भी वह सरकार की सहायता करता है।
  • उपमुखिया -  प्रत्येक पंचायत में एक उपमुखिया का पद भी है। मुखिया की गैर हाजिरी में उपमुखिया ही मुखिया के सभी काम करता है और उसके अधिकारों का उपयोग करता है।

(iii) पंचायत सेवक - पंचायत सेवक ग्राम पंचायत का एक सरकारी कर्मचारी है। इसकी नियुक्ति राज्य सरकार करती है पंचायत सेवक ग्राम पंचायत के सभी कागजात सुरक्षित रखता है। वह पंचायत का प्रमुख सलाहकार होता है। ग्राम पंचायत के सभी अंगों के कार्य संचालन में वह मदद करता है।

(iv) ग्रामरक्षा-दल - ग्रामरक्षा दल को ग्राम स्वयंसेवक दल भी कहते है। इसे ग्राम-पुलिस के नाम से भी पुकारा जाता है। 18 वर्ष से लेकर 30 वर्ष की उम्र के स्वस्थ युवक इसमें भर्ती हो सकते हैं। इसका एक दलपति होता है। ग्राम रक्षा दल का मुख्य काम गाँव में शांति और सुरक्षा कायम रखना है। चोरी, डकैती, अगलगी, बाढ़ इत्यादि में भी ग्राम रक्षा-दल आवश्यक सेवाएँ प्रदान करता है।

(v) ग्राम कचहरी - प्रत्येक पंचायत में एक ग्राम कचहरी होती है। यह पंचायत की न्यायपालिका है। ग्राम कचहरी में एक सरपंच तथा 16 पंच होते हैं। सरपंच ही इसका प्रधान होता है। पंचों के चुनाव के लिए पंचायत को 8 वार्डों में बाँट दिया जाता है और प्रत्येक से 2 पंच चुनकर आते हैं। ग्राम कचहरी का कार्यकाल 5 वर्ष है। ग्राम कचहरी में एक उपसरपंच होता है।

मुकदमों की सुनवाई - ग्रामकचहरी को गाँव के छोटे-छोटे मुकदमा सुनने का अधिकार है। दीवानी मामलों में ग्राम कचहरी 100 रुपये से 500 रुपये तक के मुकदमों की जाँच कर सकती है। फौजदारी मुकदमों में ग्राम कचहरी एक महीने की कैद और 100 रुपये तक जुर्माना कर सकती है। ग्राम कचहरी के फैसले के विरुद्ध अपील नहीं होती। विशेष परिस्थिति में अपील की जा सकती है। ग्राम पंचायत के कार्य-बिहार पंचायत राज (संशोधन) अधिनियम, 1990 के अनुसार ग्राम पंचायत के कार्यों की एक लम्बी सूची बनाई गई है। उसके कुछ मुख्य कार्य इस प्रकार हैं-

1. कृषि प्रसार सहित कृषि
2. लघु सिंचाई, जल प्रबंधन एवं नदी तट-विकास
3. पशुपालन, मुर्गीपालन, मछलीपालन इत्यादि
4. लघु उद्योग, खादी, ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग
5. ग्रामीण आवास
6. पेय जल
7. ईधन एवं चारा
8. पथ, पुल, पुलिया, घाट, जलमार्ग एवं संचार के अन्य साधन
9. शिक्षा, पुस्तकालय, सांस्कृतिक कार्यक्रम
10. बाजार, मेला, औषधालय, परिवार कल्याण, शिशु एवं महिला, विकलांग, कमजोर वर्ग आदि का कल्याण
11. लोकवितरण की व्यवस्था
12. कुओं, तालाबों एवं पोखरों का निर्माण
13. कृषि ऋण की सुविधा बढ़ाना और गरीबी दूर करने के उपाय
14. महामारी तथा संक्रामक रोगों का नियंत्रण एवं निवारण
15. सरकार के निर्देश के अनुसार ग्रामीण विकास योजनाओं को कार्यान्वित करना
16. अन्य कार्य जो समय-समय पर सरकार सौंपे।

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