भारत के इतिहास प्रसिद्ध मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य की सन्तान के रूप में बिन्दुसार का जन्म हुआ था. इनके बेटे का नाम सम्राट अशोक था, जिन्हें आज कौन नही जानता हैं. जैन लेखक हेमचन्द्र परिशिष्ठ के अनुसार बिन्दुसार की माता का नाम दुर्धरा था इनकी पत्नी का नाम सेलयूसिड्स था. आज के आर्टिकल में इस मौर्य शासक के जीवन परिचय इतिहास व जीवनी को संक्षिप्त में जानते है.
आज से लगभग 2400 वर्ष पहले प्राचीन भारत में मौर्य साम्राज्य का राज हुआ करता था। मौर्य साम्राज्य का पूरी दुनिया में नाम प्रसिद्ध था। प्राचीन भारत के सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य को एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम बिन्दुसार था।
बालक बिन्दुसार के जन्म के पहले ही विषैले खाने के कारण उसकी माता दुर्धरा की मृत्यु हो गई। वह अपने पिता की इकलौती संतान थे क्योंकि उनके बड़े भाई केशनाक भी जन्म के तुरंत बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो गए थे।
बिन्दुसार का परिचय (Introduction to Bindusara)
पूरा नाम |
चक्रवर्ती सम्राट बिन्दुसार मौर्य |
जन्म |
320 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र |
माता |
दुर्धरा |
पिता |
चंद्रगुप्त मौर्य |
भाई |
केशनाक |
पत्नी |
चारूमित्रा,सुभद्रांगी |
पुत्र |
सुषीम, अशोक,तिष्य |
उत्तराधिकारी |
सम्राट अशोक मौर्य |
पूर्ववर्ती सम्राट |
चंद्रगुप्त मौर्य |
साम्राज्य |
मौर्य साम्राज्य |
प्रधानमंत्री |
आचार्य चाणक्य |
शासन |
298 ईसा पूर्व-272 ईसा पूर्व |
मृत्यु |
270 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र |
बिन्दुसार एक मौर्य सम्राट थे जिन्होंने 297 ईसा पूर्व से लेकर 273 ईसा पूर्व तक प्राचीन भारत पर राज किया। उनका जन्म 320 ईस्वी पूर्व में पाटलिपुत्र मे हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रगुप्त मौर्य और माता का नाम दुर्धरा था। उनकी माता दुर्धरा धनानंद की पुत्री थी। बिंदुसार अपने माता-पिता की इकलौती जीवित संतान थे क्योंकि उनके बड़े भाई केशनाक जन्म लेते ही मृत्यु को प्यारे हो गए।
जब बिन्दुसार अपनी माता की कोख में थे तब उनकी माता का देहांत हो गया। परंतु बिन्दुसार को आचार्य चाणक्य ने किसी तरीके से बचा लिया। और उसके बाद उसकापालन पोषण शाही दासियों द्वारा राज महल में ही किया गया।
बिन्दुसार को “बिन्दुसार” नाम आचार्य चाणक्य ने दिया था। इसके पीछे एक कहानी है। आचार्य चाणक्य रोजाना चंद्रगुप्त के भोजन में कुछ मात्रा में जहर मिला देते थे ताकि चंद्रगुप्त की जहर के प्रति इम्यूनिटी बनी रहे। एक दिन चंद्रगुप्त ने जहर मिला हुआ भोजन अपनी गर्भवती पत्नी दुर्धरा के साथ खा लिया। दुर्धरा की प्रसीभूति होने में 7 दिन बचे थे। तो उस जहर के कारण दुर्धरा की मौत हो गई और बिन्दुसार अभी तक पेट में था। जब आचार्य चाणक्य को यह बात पता चली तब बहुत देर हो चुकी थी। फिर भी चाणक्य ने दुर्धरा के पेट को चीर के गर्भ से बच्चे को निकाल लिया। परंतु बच्चे के सिर में जहर की कुछ बूंदें पहुंच चुकी थी पर आचार्य चाणक्य ने बड़ी ही कुशलता पूर्वक उसे जहर से मुक्त कर दिया और उसे बचा लिया। इस जहर की बूंद की वजह से आचार्य चाणक्य ने इस बच्चे का नाम बिन्दुसार रखा था।
बिन्दुसार का पारिवारिक जीवन (Family Life Of Bindusara)
बिन्दुसार ने 16 महिलाओं से विवाह किए थे जबकि चंद्रगुप्त ने दो महिलाओं से विवाह किए थे। बिन्दुसार के 101 पुत्र थे। जिनमें अशोक, विताशोक और सुसीम का नाम प्रचलित रहा है। अशोक व विताशोक दोनों एक ही माता के पुत्र थे। उनकी माता का नाम सुभद्रांगी था जो कि एक ब्राह्मण थी। जब सुभद्रांगी का जन्म हुआ था तब एक ज्योतिषी ने यह भविष्यवाणी की थी कि उसका पुत्र महान राजा बनेगा। जब सुभद्रांगी बड़ी हो गई तो उसे एक दिन उसके पिता पाटलिपुत्र में बिन्दुसार के महल में लेकर गए थे। वहां राजा की पत्नियां उसकी सुंदरता से जलती थी और इसलिए उन्होंने सुभद्रांगी को नाई का काम सौंप दिया।
बिन्दुसार सुभद्रांगी के बनाए हुए बालों से प्रसन्न हुए और उसको कुछ मांगने का विकल्प दिया। सुभद्रांगी ने उनकी रानी बनने की इच्छा जाहिर की। बिन्दुसार ने पहले सोचा कि वह निम्न वर्ग की लड़की है परंतु बाद में पता चला कि यह ब्राह्मण हैं तो दोनों ने विवाह कर लिया। सुभद्रांगी के 2 पुत्र थे – अशोक और विताशोक। परंतु, बिन्दुसार ने कभी अशोक को पसंद नहीं किया।
बिन्दुसार का शासन (Reign Of Bindusara)
बिन्दुसार ने मौर्य साम्राज्य का शासन 297 ईसा पूर्व में संभाला था। 297 में ईसा पूर्व में ही उसके पिता चंद्रगुप्त चन्द्रागिरि (कर्नाटक) की पहाड़ियों में चले गए थे। उस समय मौर्य साम्राज्य चंद्रगुप्त के अधीन था जो कांधार से लेकर पाटलिपुत्र तक और तक्षशिला से लेकर सुवर्णगिरी तक फैला हुआ था। लगभग पूरे प्राचीन भारत पर मौर्य साम्राज्य का झंडा फहरा रहा था।
वर्तमान समय के बांग्लादेश, केरल, कर्नाटक और उड़ीसा इत्यादि क्षेत्र ही मौर्य साम्राज्य के अधीन नहीं थे। बिन्दुसार के राजा बनने के बाद उसने राज्य का ज्यादा विस्तार तो नहीं किया परंतु राज्य को संरक्षित किया। जब बिन्दुसार को खबर मिली कि तक्षशिला के लोग उसके खिलाफ रोष जता रहे हैं। तो उसने अपने पुत्र अशोक को तक्षशिला भेजा। परंतु, बिन्दुसार ने अशोक को हथियार और रथ नहीं दिए। तब अशोक बिना अस्त्र-शस्त्र के ही गए थे।
ऐसा माना जाता है कि देवताओं ने उनके लिए सेना और हथियार उपलब्ध करवाये। जब अशोक तक्षशिला पहुंचे तो वहां के लोग आकर बोले कि हमें राजा एवं राजकुमार से कोई समस्या नहीं है। हमें तो मंत्रियों से समस्या है। अशोक ने यह बात स्वीकार कर ली और लोगों को शांत कराया। तब देवताओं ने घोषणा की कि 1 दिन अशोक पूरे भारत का राजा बनेगा।
बिन्दुसार की चाणक्य के प्रति घृणा (Bindusara’s Hate Against Chanakya)
जब चंद्रगुप्त ने राजा के पद का त्याग कर दिया था तब चाणक्य ने उसे संन्यास लेने के लिए कहा। चंद्रगुप्त वन में जाकर रहने लग गए। परंतु, आचार्य चाणक्य बिन्दुसार के प्रधानमंत्री बने रहे। तो एक दिन चाणक्य ने बिन्दुसार को कहा कि “सुबन्धु” को आप मंत्री बना लो। परंतु, सुबन्धु चाणक्य से जलता था और उच्च पद का मंत्री बनना चाहता था तो उसने बिन्दुसार को बता दिया कि उसकी माता दुर्धरा का चाणक्य ने पेट चीर दिया था। तो बिन्दुसार ने इस बात की स्त्री नर्सों (दाइयों) से जाँच पड़ताल की। और उसने इस बात को सत्य पाया। इसके बाद बिन्दुसार ने चाणक्य से घृणा करनी शुरू कर दी।
चाणक्य उस समय वृद्ध हो चुके थे और इस घृणा की वजह से उन्होंने सेवानिवृत्ति ले ली। इसके बाद उन्होंने समाधि लेने की सोची। परंतु जब बिन्दुसार को पूरी बात का पता चला कि उसे बचाने के लिए चाणक्य ने ये सब किया था। तो उसने चाणक्य से विनती की कि आप दोबारा प्रधानमंत्री बन जाइए। परंतु, चाणक्य ने मना कर दिया। बिन्दुसार ने सुबन्धु को चाणक्य को शांत कराने के लिए भेजा। इतिहासकार यह बताते हैं कि सुबन्धु ने वृद्ध चाणक्य के आवास में जाकर उनको जलाकर मार दिया। इसके बाद सुबन्धु भी पागल हो गए और सेवानिवृत्ति ले ली।
बिन्दुसार के पुत्र अशोक पर की गई भविष्यवाणी (Astrologers’ Thoughts on Bindusara’s Son Ashoka)
जब अशोक की माता सुभद्रांगी छोटी थी तब एक ज्योतिषी ने कहा कि उसका एक पुत्र महान राजा बनेगा। सुभद्रांगी का विवाह होने के बाद, एक दिन पिंगल वत्स नामक ज्योतिषी महल में आये थे।
बिन्दुसार ने पूछा कि आने वाला सम्राट कौन सा राजकुमार बनेगा? तब पिंगल वत्स ने अशोक को सबसे योग्य शासक ठहराया था। परंतु, उसने बिन्दुसार को एक निश्चित उत्तर नहीं दिया क्योंकि उन्हें भय था कि कहीं वे बिन्दुसार की ईच्छा के खिलाफ भविष्यवाणी ना कर दे। हालांकि, अशोक बिन्दुसार का सर्वप्रिय पुत्र नहीं था। बिन्दुसार नहीं चाहते थे कि अशोक सम्राट ना बने बल्कि उनका सर्वप्रिय पुत्र सुसीम सम्राट बने।
बिन्दुसार की मृत्यु (Death of Bindusara)
बिन्दुसार मौर्य की मृत्यु 270 ईसा पूर्व को पाटलिपुत्र में हुई थी। उनकी मृत्यु का मुख्य कारण उनकी कमजोर स्वास्थ्य स्थिति थी जिसके उपरांत वे ज्यादा बीमार पड़ गए और उनका देहांत हो गया।
बिन्दुसार ने 297 ईसा पूर्व से 273 ईसा पूर्व तक प्राचीन भारत पर मौर्य साम्राज्य के शासक के रूप में लगभग 27 वर्षों तक शासन किया। उन्होंने अपने राज्य के विस्तार पर ज्यादा ध्यान न देकर सरंक्षण पर दिया। उस समय उनका साम्राज्य पहले से ही बहुत बड़ा था।
बिन्दुसार की मौत के बाद उत्तराधिकारी (Successor After Bindusara’s Death)
बिन्दुसार के देहांत हो जाने के बाद अशोक मौर्य साम्राज्य का सम्राट बना। अशोक के सम्राट बनने के पीछे दो कहानियां हैं-
- उज्जैन से आकर अपने भाइयों का कत्ल कर देना
- अशोक उज्जैन में वायसराय के पद पर नियुक्त था जब अशोक को यह बात पता चली कि उसके पिता का स्वास्थ्य बहुत खराब हो गया है तो वह जल्द से जल्द उज्जैन से पाटलिपुत्र लौट आया और उसने अपने सगे भाई विताशोक को छोड़कर सभी 99 भाइयों का कत्ल कर दिया। उसके बाद अशोक 269-268 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य का सम्राट बन गया। - सभागणों के द्वारा अशोक को सम्राट बनाना
- बिन्दुसार का प्रिय पुत्र सुसीम ने प्रधानमंत्री खलातक के मुंह पर चमड़े से बने हुए दस्ताने फेंक दिए थे। तो इस व्यवहार से प्रधानमंत्री ने सोचा कि सुसीम सम्राट बनने के लायक नहीं है। इसलिए वह अशोक को सम्राट बनाएंगे। तो उन्होंने 500 सभागणों को बताया कि बिन्दुसार की मृत्यु के बाद अशोक को सम्राट बनाना है। क्योंकि देवताओं ने बताया था कि वह सार्वत्रिक सम्राट है।
इसके कुछ समय बाद ही बिन्दुसार बीमार पड़ गये। तब बिन्दुसार ने उत्तराधिकारी के बारे में बताया और कहा कि उसके प्रिय पुत्र सुसीम को सम्राट बनाया जाए। परंतु, उस समय सुसीम तक्षशिला के विद्रोह को शांत कराने के लिए गया हुआ था। तो मंत्रियों ने अशोक को सम्राट बनाने के लिए प्रस्ताव रखा और कहा कि जब तक सुसीम नहीं आ जाता तब तक अशोक सम्राट बना रहेगा।
जब यह बात बिन्दुसार ने सुनी तो वह गुस्से से क्रोधित हो गये और कहा कि अशोक कभी भी सम्राट नहीं बनेगा। परंतु इसके बाद बिन्दुसार का स्वास्थ्य और गिर गया। और इसी समय अशोक ने यह घोषणा की कि आज से वह ही सम्राट है।
उसके बाद बिन्दुसार की मौत हो गई और अशोक मौर्य साम्राज्य का सम्राट बन गया। जब यह बात सुसीम को पता चली तो वह तक्षशिला से पाटलिपुत्र भागा चला आया। अशोक के शुभचिंतक राधागुप्त ने उसके रास्ते में एक गड्ढे में बहुत गर्म चारकोल डाल दिया और उस चारकोल में सुसीम गिरकर मर गया। इस तरह अशोक मौर्य साम्राज्य का सम्राट बन गये।
बार-बार पूछे गए प्रश्न (FAQs)
- बिन्दुसार के कितने पुत्र थे?
उत्तर- बिन्दुसार के 101 पुत्र थे जिनमें अशोक, विताशोक और सुसीम का ही नाम इतिहास में प्रचलित रहा है। - बिन्दुसार की कितनी पत्नियां थी?
उत्तर- बिन्दुसार की कुल 16 पत्नियां थी, उनमें से सुभद्रांगी उसकी प्रिय पत्नी थी। - बिन्दुसार का नाम बिन्दुसार ही क्यों पड़ा?
उत्तर- बिन्दुसार को “बिन्दुसार” नाम आचार्य चाणक्य ने दिया था क्योंकि चाणक्य ने उसकी माता दुर्धरा के पेट को चीर के गर्भ से उसे निकाल लिया। परंतु बच्चे के सिर में जहर की कुछ बूंदें पहुंच चुकी थी पर आचार्य चाणक्य ने बड़ी ही कुशलता पूर्वक उसे जहर से मुक्त कर दिया और उसे बचा लिया। जहर की बूंद के कारण इस बच्चे का नाम बिन्दुसार रखा गया था। - बिन्दुसार ने कौन सा धर्म अपनाया था?
उत्तर- बिन्दुसार ने हिंदू धर्म अपनाया था। - बिन्दुसार के पिता का क्या नाम था?
उत्तर- बिन्दुसार के पिता का नाम चंद्रगुप्त मौर्य था। चंद्रगुप्त ने अपने राज्य का कार्यभार अपने पुत्र बिन्दुसार को सौंप दिया और खुद वन में चले गए और वहां पर संन्यास ले लिया। - बिन्दुसार की माता का क्या नाम था?
उत्तर- बिन्दुसार की माता का नाम दुर्धरा था। बिन्दुसार के जन्म लेते ही उसकी माता का देहांत हो गया था क्योंकि उसकी माता ने विष भरा भोजन कर लिया था। - बिन्दुसार की मृत्यु के समय अशोक किस स्थान का वायसराय था?
उत्तर- बिन्दुसार की मृत्यु के समय अशोक उज्जैन का वायसराय था। वह अपने पिता के बीमार होने की खबर सुनते ही उज्जैन से तुरंत पाटलिपुत्र आ गया और अपने सगे भाई को छोड़कर सभी 99 भाइयों का कत्ल कर दिया।