Discuss the importance of computer education - कम्प्यूटर शिक्षा के महत्त्वों

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 प्रश्न - कम्प्यूटर शिक्षा के महत्त्वों की विवेचना करें । 

उत्तर- 20 वीं सदी में कम्प्यूटर में काफी तेजी आयी है । इस संसाधन क्षेत्र में आयी क्रांति क्रांति के कारण ही हर के कारण सूचनाओं की प्राप्ति और इनके किसी क्षेत्र का कम्प्यूटरीकरण संभव हो पाया है । स्थिति यह है कि माइक्रो प्रोसेसर के बिना अब पहली चार पीढ़ियाँ क्रमशः वैक्यूम ट्यूव तकनीकी , ट्रॉजिस्टर और प्रिंटेड इंटिग्रेटेड तकनीकी पर आधारित सर्किट तकनीकी , इंटिग्रेटेड सर्किट तकनीकी और वैरी लार्ज स्केल थी । चौथी पीढ़ी की तकनीकी में माइक्रो प्रोसेसरों का वजन केवल कुछ ग्राम तक ही रह गया । आज पांचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर तो कृत्रिम बुद्धि वाले वन गये हैं । वास्तव में कम्प्यूटर एनालॉग या डिजिटल मशीनें ही हैं । अंकों को एक सीमा में परस्पर भिन भौतिक मात्राओं में परिवर्तित करने वाले कम्प्यूटर एनालॉग कहलाते हैं । जबकि अंकों का इस्तेमाल करने वाले कम्प्यूटर डिजिटल कहलाते हैं । एक तीसरी तरह के कम्प्यूटर भी हैं जो हाइब्रिड कहलाते हैं । इनमें अंकों का संचय और परिवर्तन डिजिटल रूप में होता है लेकिन गणना एनॉलाग रूप में होती है । विज्ञान क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का आयाम जुड़ने से हुई प्रगति ने हमें अनेक प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की हैं । इनमें मोबाइल फोन , कम्प्यूटर तथा इंटरनेट का विशिष्ट स्थान है । कम्प्यूटर का विकास गणना करने के लिए विकसित किये यंत्र केलकुलेटर से जुड़ा है । इससे जहाँ कार्य करने में समय कम लगता हैं वहीं मानव श्रम में भी कमी आई है । यही कारण है कि दिन - प्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है । पहले ये कुछ सरकारी संस्थानों तक ही सीमित थे लेकिन आज इनका प्रसार घर - घर में होने लगा है । जनसंख्या बढ़ने के साथ - साथ समस्यायें भी तीव्र गति से बढ़ती जा रही हैं । इन समस्याओं से जूझना व उनका समुचित हल निकालना मानव के लिए चुनौती रहा है । इन समस्याओं में एक समस्या थी गणित की । इस विषय की जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यकता पड़ती है । प्रारंभ में आदि मानव उंगलियों की सहायता से गणना करता था । विकास के अनुक्रम में फिर उसे कंकड़ , रस्सी से गांठ बाँधकर तथा छड़ी पर निशान लगाकर गणना करना आरम्भ किया । करीब दस हजार वर्ष पहले अबेकस नामक मशीन का आविष्कार हुआ । इसका प्रयोग गिनती करने तथा सक्रियायें हल करने के लिए किया जाता था । 1973 ई ० में जर्मन की दार्शनिक व गणितज्ञ गॉट फ्राइड ने केलकुलेटर नामक यंत्र विकसित किया । 1944 ई ० में पहला विद्युत चालित कम्प्यूटर बना । तब से लेकर अब तक इसमें कई तरह के बदलाव आये हैं । वर्तमान में कम्प्यूटर के कार्य करने गति इतनी तीव्र हो गयी है कि वह किसी भी गणना को करने में सेकेण्ड का इस खरबवें भाग जितना समय लेता है । इसके अलावा उससे अन्य कई तरह के कार्य भी लिया जा सकते हैं । चार्ल्स बेवेज पहले व्यक्ति थे , जिन्होंने 19 वीं शताब्दी के आरम्भ में सबसे पहला कम्प्यूटर बनाया । इसकी विशेषता यह थी कि यह बड़ी गणनाओं को करने तथा उन्हें मुद्रित करने की क्षमता रखता था । भारत में शुरुआती दौर में कम्प्यूटरों का इस्तेमाल काफी सीमित था लेकिन वर्तमान में बैंक , अस्पताल , प्रयोगशाला , अनुसंधान केन्द्र , विद्यालय सहित ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ कम्प्यूटर का इस्तेमाल न किया जाता हो ।

वर्तमान में कम्प्यूटर संचार का भी एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है । कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से देश के प्रमुख नगरों को एक दूसरे के साथ जोड़े जाने की प्रक्रिया जारी है । भवनों , मोटर गाड़ियों , हवाई जहाजों आदि के डिजाइन तैयार करने में कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग हो रहा । अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में जो कम्प्यूटर ने अद्भूत कमाल कर दिखाया है । इसके माध्यम से करोड़ों मील दूर अंतरिक्ष के चित्र लिए जा रहे हैं । मजे की बात यह है कि इन चित्रों का विश्लेषण भी कम्प्यूटर द्वारा ही किया जा रहा है । कम्प्यूटर नेटवर्क द्वारा देश विदेश को जोड़ने को ही इंटरनेट कहा जाता है । नेटवर्क केवल एक ही कम्प्यूटर से नहीं जड़ा होता अपितु कई सारे कम्प्यूटर जो देश - विदेश में हैं को इंटरनेट द्वारा आपस में जोड़ता है । इंटरनेट की शुरूआत 1969 ई ० में अमेरिका के रक्षा विभाग ने शुरू की थी । 1990 ई ० में इसका व्यक्तिगत व व्यापारिक सेवाओं में भी प्रयोग किया जाने लगा । वर्तमान में इसके प्रयोगकर्ता पच्चीस प्रतिशत की दर से प्रति माह बढ़ रहे हैं । उससे आवश्यक जानकारी हासिल कर सकते हैं । यह कम समय में दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से संवाद स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम है । इसके अलावा इसकी अन्य कई विशेषतायें भी हैं । कम्प्यूटर चाहे कम समय में मानव से ज्यादा काम कर लें और वह भी बिना किसी त्रुटि के लेकिन मानव मस्तिष्क से तेज नहीं माना जा सकता कम्प्यूटर को । क्योंकि इसका आविष्कार करने वाला मनुष्य ही है । इसलिए कम्प्यूटर से श्रेष्ठ मानव है । कम्प्यूटर उपयोगी होते हुए भी मशीन के समान है । वह मानव के समान संवेदनशील नहीं हो सकता । मनुष्य को कम्प्यूटर को एक सीमा तक ही प्रयोग में लाना चाहिए । मनुष्य स्वयं निष्क्रिय न बने , बल्कि वह स्वयं को सक्रिय बनाये रखे तथा अपनी क्षमता को सुरक्षित रखें ।

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