भारतीय संविधान में राज्य के नीति - निर्देशक तत्त्व - A Note on the Directive Policy of the State

1

Ques- भारतीय संविधान में राज्य के नीति - निर्देशक तत्त्व पर नोट लिखें। ( Write a note on the directive policy of the state in Hindi . ) 


Ans- भारतीय संविधान में वर्णित प्रमुख निर्देशक तत्त्व निम्नांकित हैं 

1. लोक कल्याणकारी एवं समाजवादी राज्य की स्थापना - भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 में इस बात की स्पष्ट विवेचना की गयी है कि राज्य इस बात के लिए सतत् प्रयत्नशील रहेगा कि लोक - कल्याणकारी और समाजवादी व्यवस्था की स्थापना हो सके । 

2. आर्थिक उन्नति - भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 एवं 43 में राज्य को यह निर्देश दिया गया है कि वह ऐसी व्यवस्था करे जिससे सभी नागरिकों को जीविका का सर्वोत्तम साधन प्राप्त हो सके , सामूहिक हितों की रक्षा हो सकें , धन एवं उत्पादन के साधनों का सर्वसाधारण के लिए अकल्याणकारी संकेन्द्रण नहीं हो पाये , प्रत्येक पुरुष या स्त्री को समान कार्य के लिए समान वेतन प्राप्त हो , उद्योग के प्रबंध में कर्मचारियों की भागीदारी हो और कुटीर उद्योग का पर्याप्त विकास हो । 

3. लोक सेवा और समाज कल्याण- भारतीय संविधान में गाँधी विचारधारा से सम्बन्धित निर्देशक तत्त्वों की भी विवेचना की गयी है जिनका सम्बन्ध मुख्यतः लोक सेवा और समाज कल्याण से है । इसके तहत राज्य को निर्देश दिया गया है कि वह नागरिकों के शोषण तथा नैतिक पतन पर रोक लगाये , असमर्थ व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर , समाज के कमजोर वर्गों विशेषकर अनुसूचित जातियों , अनुसूचित जनजातियों और पिछड़ी जातियों की शिक्षा एवं आर्थिक हितों की उन्नति करे ( अनुच्छेद 40 ) , नशीली वस्तुओं के प्रयोग की औषधियों के अतिरिक्त शेष उद्देश्यों के लिए नहीं होने दें ( अनुच्छेद 47 ) , कृषि और पशु - पालन को आधुनिक ढंग से संगठित करे ( अनुच्छेद -46 ) तथा निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करे इत्यादि ।

4. सबों के लिए अनिवार्य शिक्षा -  संविधान में वर्णित निर्देशक के अधीन इस बात की स्पष्ट विवेचना की गई है कि संविधान लागू होने के 10 वर्ष के अन्दर 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की जाये । 

5. समान न्याय की व्यवस्था - संविधान के अनुच्छेद 40 , 44 और 50 में वर्णित तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि राज्य को संविधान द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान न्याय संहिता बनाये और देश में पंचायती राज्य व्यवस्था लागू की जाये । साथ ही न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक्करण कर दिया जाये । 

6. संस्कृति की रक्षा - अनुच्छेद 48 और 49 में अभिव्यक्त विचार इस बात पर जोर देते हैं कि पर्यावरण की रक्षा की जाये , वन्य जीवों की सुरक्षा की गारंटी दी जाये और राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारकों , भवनों तथा कलाकृतियों की देख - भाल और संरक्षण की व्यवस्था की जाये । 

7. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा - भारत के संविधान के 51 वें अनुच्छेद में यह स्पष्ट किया गया है कि अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देगा , साथ ही वह अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को न्याय तथा सम्मानपूर्वक सम्बन्धों के माध्यम से निबटाने के महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा और अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों तथा संधियों के प्रति आदर एवं सम्मान की भावना रखेगा ।

Post a Comment

1 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment

buttons=(Accept !) days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top