भारत के कुछ महत्त्वपूर्ण खनिज संसाधनों

0

Ques- भारत के कुछ महत्त्वपूर्ण खनिज संसाधनों पर टिप्पणी लिखें । (Write a note on some of the important mineral resources of India.)


Some important Mineral Resources

Ans- 

( A ) लोहा - लोहा भारतीय खजिन संसाधनों में एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण संसाधन है जिसे आधुनिक जीवन का प्राण कहा जा सकता है । विश्व के कुल लौह भंडार का लगभग 1/4 भाग भारत में है । परन्तु इसका उत्पादन विश्व के लौह उत्पादन का केवल 4 % भाग ही है । भारत में लौह मुख्य रूप से झारखंड के सिंहभूमि , मध्य प्रदेश के दुर्ग , बस्तर और चाँदा , उड़ीसा के मयूरभंज और क्योंझर , महाराष्ट्र के रत्नागिरि , तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली एवं सलेम और कर्नाटक के सिमोगा जिलों में पाये जाते हैं । पंचवर्षीय योजनाओं में लोहे के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है । 1950-54 में भारत में लोहे का कुल उत्पादन 32 लाख टन था जो 1988-89 में बढ़कर 489 लाख टन हो गया । 1988-89 में भारत में 673 करोड़ रुपये के मूल्य के कच्चे लोहे का निर्यात किया ।

( B ) कोयला - सभी खनिज संसाधनों और विशेषकर शक्ति - संसाधनों में कोयला एक सर्वाधि क लोकप्रिय संसाधन माना जाता है । इसका उपयोग घरेलू ईंधन से लेकर रासायनिक पदार्थों तक के निर्माण में किया जाता है । ईंधन के अतिरिक्त इसका प्रयोग तेल बैजालनेफ्था , बिजली के बटन , कोलतार , डायल एवं अमोनिया द्रव इत्यादि के निर्माण में किया जाता है । भारत सरकार के नवीनतम अनुमानों के अनुसार देश में 17,633 करोड़ टन कोयले का भण्डार है जो लगभग 4 सौ बर्षों तक के उपभोग के लिए पर्याप्त है । परन्तु भारत में केवल 2 % कोयला की उच्च श्रेणी का कोयला है । भारत के बिहार एवं पश्चिमी बंगाल कोयला के उत्पादन के मुख्य क्षेत्र हैं । उनके अतिरिक्त आन्ध्रप्रदेश , मध्यप्रदेश , उड़ीसा एवं महाराष्ट्र में भी कोयले का उत्पादन होता है । 1950-51 में भारत में कोयले का कुल उत्पादन 328 लाख टन था जो 1988-89 में बढ़कर 2070 लाख टन हो गया । 

( C ) अभ्रक - अभ्रक उत्पादन के क्षेत्र में भारत विश्व में प्रथम स्थान रखता है । विश्व में अभ्रक के कुल उत्पादन का 80 % भाग भारत में ही उत्पादित होता है । झारखंड के हजारीबाग , गिरिडीह , बिहार के मुंगेर , राजस्थान के अजमेर , मारवाड़ , उदयपुर एवं जयपुर और आन्ध्रप्रदेश के नेल्लोर एवं गोदावरी जिलों में अभ्रक का उत्पादन होता है । 1950-51 में भारत में 10 हजार टन अभ्रक का उत्पादन हुआ था जो 1988-89 में घटकर 3.6 हजार टन हो गया । इस प्रकार हम देखते हैं कि इसके उत्पादन में निरन्तर ह्रास की प्रवृत्ति देखने को मिलती है । अभ्रक का उपयोग विद्युत , रेडियो तथा वायरलेस के निर्माण , लालटेन की चिमनियों के निर्माण , चश्मों के निर्माण एवं वार्निश तथा प्लास्टिक आदि उद्योगों में किया जाता है । 

( D ) मैंगनीज - मैंगनीज एक अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण खनिज संसाधन है जिसका उपयोग ढलवाँ लोहा और इस्पात के निर्माण के अतिरिक्त ड्राई बैटरी , वार्निश , फर्श के टाइल तथा प्लास्टिक आदि के निर्माण में किया जाता है । भारत में मैंगनीज का कुल भण्डार 1280 लाख टन है । इसकी अधिकांश खानें मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र , उड़ीसा , आन्ध्रप्रदेश और कर्नाटक राज्यों में स्थित है । 1988-89 में मैंगनीज का कुल उत्पादन 13.2 लाख टन हुआ । इसके निर्यात से भारत को 23 करोड़ रुपये का आर्थिक लाभ मिला ।

 ( E ) ताम्बा - भारत में ताम्बे का भण्डार लगभग 60 करोड़ टन है । यह मुख्य रूप से राजस्थान , झारखंड , मध्यप्रदेश और आन्ध्रप्रदेश राज्यों में पाया जाता है । झारखंड के सिंहभूम एवं हजारीबाग जिलों में ताम्बे की खानें है । 1950-51 में भारत में 266 हजार टन ताम्बे का उत्पादन हुआ था । और विविध पंचवर्षीय योजनाओं में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई । 1988-89 में ताम्बे का उत्पादन बढ़कर 5326 हजार टन हो गया । ताम्बे का उपयोग मुख्य रूप से विद्युत उद्योग में किया जाता है । बिजली के तार ताम्बा या ताम्बे की मिश्र धातु से बनता है । साथ ही , ताम्बे का उपयोग मोटर , जेनरेटर , रेल - इंजन , तार एवं केबिल , रेडियो प्रसारण , टेलीफोन , रेफ्रिजरेटर , बर्तन , घड़ी , अग्निशामक यंत्र , विस्फोटक गोलियाँ और नीला थोथा इत्यादि के निर्माण में भी किया जाता है । 

( F ) सोना - भारत में सोने के अयस्क का कुल भण्डार 87 लाख टन है । इसका उत्पादन कर्नाटक के कोलार , तमिलनाडु के नारायण नगर , बिहार के फुन्दूकांचा और आन्ध्रप्रदेश के रामगिरि नामक स्थान पर होती है । भारत के सोने के कुल उत्पादन का लगभग 97 % भाग कोलार की खानों से प्राप्त होता है । सोना एक बहुमूल्य धातु है और उसका उपयोग मुख्यतः आभूषणों के रूप में किया जाता है । इसके अतिरिक्त इसका उपयोग दवा बनाने , इलेक्ट्रोप्लेटिंग तथा फोटोग्राफी आदि कार्यों में किया जाता है । 

( G ) पेट्रोलियम - भारतीय अर्थव्यवस्था में पेट्रोलियम एक अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण संसाधन की भूमिका निभाता है । वास्तव में यह भारतीय अर्थव्यवस्था का प्राण है ; क्योंकि वह औद्योगिक विकास की प्रक्रिया को सुलभ और मजबूत बनाता है । इसका उपयोग उद्योग धंधों के विकास , मोटर , रेल , हवाई जहाज , मशीन तथा परिवहन के अन्य साधनों में ईंधन के रूप में किया जाता है । प्रतिरक्षा के क्षेत्र में भी पेट्रोलियम की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है । भारत में खनिज तेल का कुल भण्डार लगभग 13 हजार टन है । भारत में पेट्रोलियम का उत्पादन असम , गुजरात , नहरकटिया , खम्भात , अंकलेश्वर , डिगबोई , कच्छ की खाड़ी , तमिलनाडु , आन्ध्रप्रदेश , बंगाल की खाड़ी और बाम्बे हाई आदि क्षेत्रों में होता है । 1950-51 में भारत में पेट्रोलियम का कुल उत्पादन 4 लाख टन था जो 1988-89 में बढ़कर 320 लाख टन हो गया । हमारे देश की ऊर्जा की माँग के अनुपात में पेट्रोलियम का उत्पादन नहीं हो पाता है इसलिए हमें इसका आयात करना पड़ता है । भारत ने 1988-89 में 4374 करोड़ रुपये के पेट्रोलियम का आयात किया । 

( H ) बॉक्साइट - भारत में बॉक्साइट का कुल भण्डार 265 करोड़ टन है । 1988-89 में बॉक्साइड का कुल उत्पादन 30.1 लाख टन हुआ । बॉक्साइट का उपयोग मुख्य रूप से एल्युमिनियम बनाने में किया जाता है । इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग सीमेंट उद्योग , विद्युतीकरण और अन्तरिक्ष खोजों में भी किया जाता है। 

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)

buttons=(Accept !) days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top