खनिज संसाधन क्या है ? खनिज कितने प्रकार के होते हैं ? खनिजों के महत्त्व का उल्लेख करें । ( What is mineral resource? How many types of minerals are there? Mention the importance of minerals. )
अथवा , ' खनिज संसाधन ' का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके वर्गीकरण और महत्त्व पर प्रकाश डालें । ( Explaining the meaning of 'mineral resource', throw light on its classification and importance. )
Ans - व्यापक अर्थ में खनिज रासायनिक यौगिक हैं , जो चट्टानों में संचित रहते हैं । चट्टानों से इन्हें अलग ( निकाल ) करके टिकाऊ और उपयोगी सामग्रियाँ तैयार की जाती हैं । जो वस्तुएँ पृथ्वी से धरातल अथवा उसके गर्भ से खोदकर निकाली जाती है , उन्हें खनिज पदार्थ कहते हैं । खनिज प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाला वह पदार्थ है , जिसकी अपनी भौतिक विशेषताएँ होती हैं और जिसकी बनावट को रासायनिक गुणों द्वारा प्राप्त किया जाता है । जिन विशेष स्थानों से खनिज निकाले जाते हैं , उन्हें खदान ( mines ) कहते हैं । खनिज पदार्थ , जिन कच्ची धातुओं में मिलते हैं उन्हें अयस्क ( ores ) कहते हैं ।
खनिजों का वर्गीकरण ( प्रकार ) - खनिजों का वर्गीकरण उपयोगिता के आधार पर किया गया है । सामान्यतः खनिजों के दो प्रमुख वर्ग हैं -
- धात्विक खनिज ( Metallic minerals ) एवं
- अधात्विक खनिज ( Non - Metallic minerals )
1. धात्विक खनिज ( Metallic minerals ) – धात्विक खनिज वे खनिज हैं , जिन्हें खदानों से निकालने के बाद सर्वप्रथम परिष्कृत किया जाता है । परिष्करण से धात्विक खनिज में चमक आ जाती है । सोना , चाँदी , ताँबा , जस्ता , शीशा और लोहा इसी कोटि के खनिज हैं ।
2. अधात्विक खनिज ( Non - Metallic minerals ) – अधात्विक खनिज वैसे खनिज हैं , जिनका परिष्करण सम्भव नहीं होता है । उन्हें केवल खुरचकर अथवा काटकर विभिन्न आकृतियों में परिवर्तित किया जा सकता है । कोयला , चूना , पत्थर , गंधक , जिप्सम , नमक , खनिज तेल आदि ऐसे ही खनिजों के उदाहरण हैं ।
उपयोग के आधार पर खनिजों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है -
खनिज , ईंधन , धात्विक खनिज , अधात्विक खनिज , खाद्यान्न उद्योगों में प्रयुक्त होने वाले खनिज , निर्माणोपयोगी ( भवनादि ) खनिज , रोधी खनिज , बहुमूल्य या प्रसाधन प्रधान खनिज । इन खनिजों का विवरण सहित वर्णन प्रस्तुत किया जा रहा है ।
( i ) ईंधन के रूप में प्रयुक्त खनिज - कुछ खनिज पदार्थ ऐसे हैं जिनसे विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं का उत्पादन किया जाता है । ऐसे खनिजों को ' ईंधन खनिज ' कहा जाता है , यथा कोयला , खनिज या जीवाश्मीय तेल और प्राकृतिक गैस ।
( ii ) धात्विक खनिज - जिन खनिजों का परिष्कार सम्भव होता है , परिष्कार से जिनमें चमक आ जाती है और जो प्रायः विभिन्न प्रकार के अयस्कों ( ores ) से प्राप्त किये जाते हैं , उन्हें धात्विक खनिज कहा जाता है , जैसे - लोहा , टंगस्टन , मैंगनीज , ताँबा , सोना इत्यादि ।
( iii ) अधात्विक खनिज - इस कोटि के खनिजों का परिष्करण सम्भव नहीं होता । ये खदानों से खुरचकर या काटकर निकाले जाते हैं , जैसे - कोयला , चूना , अभ्रक , गन्धक , ग्रेफाइट , संगमरमर इत्यादि ।
( iv ) खाद्यान्न उद्योगों में प्रयुक्त होने वाले खनिज , जैसे - एपेटाइट , फास्फोराइट , फेल्सफर ।
( v ) निर्माणोपयोगी खनिज - कुछ खनिज पदार्थ ऐसे हैं , जिनका उपयोग भवन आदि के निर्माण में होता है , जैसे — चूना पत्थर , संगमरमर , ग्रेनाइट , ऐस्बेस्टस इत्यादि ।
( vi ) रोधी खनिज ( Insulating Minerals ) – कुछ खनिज पदार्थ ऐसे हैं जो विद्युत् प्रवाह या ताप - प्रवाह आदि के रोधी होते हैं । अतः इनका उपयोग रोधी ( Insulation ) के रूप में होता है , जैसे — ऐस्बेस्टस , जिप्सम , अभ्रक इत्यादि । इनका उपयोग विद्युत उपकरण आदि के निर्माण में होता है । निकाले जो
( vii ) बहुमूल्य या प्रसाधन प्रधान खनिज - भू - गर्भ से मनुष्य ने कुछ ऐसे खनिज खोज उसके उपयोग में तो नहीं आते परन्तु वे प्राचीन काल से ही प्रसाधन सामग्री प्रतीक के रूप में तथा अमीरी और विलासिता की निशानी के रूप की दैनिक प्रतिष्ठा तरह , , सामाजिक के में प्रयुक्त होते आये हैं जैसे हीरा , सोना , चाँदी इत्यादि । एक - डेढ शताब्दी पूर्व तक सोना और चाँदी की मुद्राएँ ( सिक्के ) प्रचलन में थीं । आज भी धनराशियों की प्रत्याभूमि ( guarantee ) के रूप में बैंकों में सोना को ही अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है ।
( viii ) रेडियोसक्रिय पदार्थ - खानों से यूरेनियम , थोरियम , बोरियम आदि कुछ ऐसे खनिज प्राप्त किये गये हैं जो रेडियोएक्टिव गुणों से युक्त हैं । आज इनका व्यापक पैमाने पर उपयोग युद्धक सामग्रियों और ऊर्जा के सस्ते उत्पादन के लिए रहा है ।
खनिजों का महत्त्व -
मनुष्य के शारीरिक ढाँचे के निर्माण और क्रियाशीलता के लिए कुछ खनिज पदार्थ बिल्कुल अनिवार्य हैं । प्रत्येक जीव , पौधे और पशुओं के शरीर में उनके जीवन - संधारण और क्रियाशीलता के लिए एक सुनिश्चित मात्रा में ये खनिज प्राकृतिक रूप में उपस्थित रहते हैं । इन खनिजों की कमी से शरीर विकारयुक्त एवं रोगग्रस्त होने लगता है , जिसकी पूर्ति मनुष्य औषधि के रूप में करता है ।
लेकिन आधुनिक युग में मनुष्यों ने उद्योगों के विकास के लिए नाना प्रकार के खनिजों का विविध रूप से उपयोग करना शुरू कर दिया है । आज की सभ्यता खनिजों के विदोहन और उपयोग पर टिकी हुई है । किसी राष्ट्र या देश की सुख - समृद्धि का मानदण्ड खनिज पदार्थ ही तय करते हैं । जिन देशों में खनिजों की बहुतायत है , उनके विशाल भंडार पाये जाते हैं और जो देश उनके उपयोग में जितना ही अधिक कुशल हैं , वह देश उतना ही सुसभ्य , समुन्नत , समृद्ध और शक्ति सम्पन्न माना जाता है । संयुक्त राज्य अमेरिका , रूस , यूक्रेन , ग्रेट ब्रिटेन , जर्मनी , फ्रांस , बेल्जियम और जापान ऐसे ही राष्ट्र हैं , जिनकी उन्नति अन्य राष्ट्रों की तुलना में सर्वाधिक हुई है । आज की सभ्यता बहुत बड़ी सीमा तक खनिज पदार्थों पर निर्भर है । खनिजों ने मानव सभ्यता के विकास में कितनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी , इसका अनुमान विभिन्न खनिजों के नाम पर सभ्यता - कालों के नामकरण के आधार पर लगाया जा सकता है , जैसे — प्रस्तर युग , लौह युग , कांस्य युग एवं स्वर्ण युग इत्यादि ।
वर्तमान समय में कृषि , उद्योग , परिवहन और संदेश - वहन आदि सभी का विकास खनिज सम्पत्ति पर ही निर्भर है । विश्व के ऊष्णतम मरुस्थल ( विशेषकर कालाहारी ) और ठण्डे मरुस्थल ( विशेषकर अलास्का ) आदि का विकास , इन क्षेत्रों में खनिजों की खोज के कारण ही सम्भव हो सका है ।