Ques. - झारखंड एवं बिहार के उद्योग धन्धों पर टिप्पणी लिखें। (Write notes on the Industries in Bihar and Jharkhand.)
Answer. -
(i) लोहा एवं इस्पात उद्योग - छोटानागपुर का पठार लौह एवं इस्पात उद्योग के लिए अति महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है । दामोदर घाटी से कोयला तथा सिंहभूम के धारवार संरचना से आवश्यक कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाता है । रोहतास एवं पलामू में चूना पत्थर एवं डोलोमाइट की प्राप्ति सुगमता से संभव है ।
इन्हीं अनुकूलताओं के कारण झारखंड में दो प्रमुख लौह एवं इस्पात के उद्योग - धंधे हैं जिनमें प्रथम जमशेदपुर में और दूसरा बोकारो में स्थित है । टिस्को की स्थापना 1907 में हुई तथा उत्पादन प्रथम बार 1911 में हुआ । बोकारो स्टील प्लॉट की स्थापना 1965 में हुई तथा उत्पादन 1974 से शुरू हो सका । वे दोनों लौह एवं इस्पात कारखाने देश के कुल उत्पादन का 45.6 % इस्पात का उत्पादन करते हैं । जमशेदपुर के कारखानों में सलाखें , गर्डर , रेलवे के धुरी बक्से , पटरियाँ पहिये , चादरें , फिश प्लेट आदि मुख्य इकाई में बनाई जाती हैं । इसके अतिरिक्त इसी कारखाने की सहायक एवं अन्य संबंधित इकाइयाँ स्थापित हैं जिनमें टिन , प्लेट , ब्यालर , मशी उपकरण , कास्ट लोटे की .. पटरिगँ एवं टाटा एग्रिको में विभिन्न प्रकार के कृषि उपकरण एवं औजार निर्माण होते हैं ।
बोकारो इस्पात कारखाने की स्थापना - धनबाद नगर के पश्चिम बोकारो नामक स्थान पर चौथी पंचवर्षीय काल में रूस के सहयोग से की गयी । वर्तमान में इसकी क्षमता 40 लाख टन है । इसे अब बढ़ाकर 60 लाख टन किये जाने की योजना है । आठवीं योजना में इसकी सकल उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 50 लाख मीट्रिक टन करने की थी ।
(ii) सीमेंट उद्योग - सीमेंट उत्पादन में देश में आठवें स्थान पर हैं , सीमेंट बनाने में भारी एवं सस्ती वस्तुओं का उपयोग अधिक होता है। इसके लिए मुख्यतः चूना , जिप्सम एवं कोयले की आवश्यकता रहती है। बिहार - झारखंड में उत्तम किस्म के चूने के पर्याप्त भंडार हैं। यहाँ पर समूचे छोटानागपुर के पठार पर अनेक स्थानों पर विन्हयन किस्म के सीमेंट ग्रेडवाले चूने के विशाल भंडार हैं। साथ ही , यहाँ कोयले एवं कोयले के चूर्ण की कमी नहीं है । जिप्सम राजस्थान से आयात किया जाता है। बिहार - झारखंड के महत्त्वपूर्ण सीमेंट कारखाने डाल- मियानगर , सिन्दरी , बनजारी , चाईबासा , कल्याणपुर , जपला , खेलाड़ी , कुमारदुब्बी एवं झिकपानी में केंद्रित है। इनमें अधिकांश की क्षमता प्रतिदिन 1200 से 1500 टन है।
(iii) एल्यूमीनियम - झारखंड राज्य में एल्यूमीनियम उद्योग हेतु बॉक्साइड की उपलब्धता पर्याप्त है। राज्य में भारी मात्रा में बॉक्साइट के भंडार लोहरदग्गा एवं अन्य स्थानों पर है। बॉक्साइट पर निर्भरता के कारण भारत सरकार ने 1948 में भारतीय एल्यूमीनियम कम्पनी लिमिटेड की स्थापना स्वर्णरेखा घाटी के मूरी नामक स्थान पर की है। इसकी उत्पादन क्षमता 54,000 टन से अधिक है।
(iv) तांबा उद्योग - तांबा उत्पादन की दृष्टि से झारखंड का स्थान देश में महत्त्वपूर्ण है। यहाँ पर्याप्त तांबा निकाला जाता है। तांबा के उत्पादन के आधार पर यहाँ 9 नवम्बर , 1967 को हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड की स्थापना घाटशिला नामक स्थान पर की गयी। घाटशिला के कारखानों की उत्पादन क्षमता 9,600 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 16,500 मी ० टन करने का प्रयास जारी है।
( v ) भारी इंजीनियरिंग एवं मशीन उद्योग - राँची में स्थित इस उद्योग में 25,000 टन तक के इस्पात एवं मिश्रित धातु के विशाल मशीन ढाँचे ढालकर तैयार किये जा सकते हैं। यहाँ दस हजार मीट्रिक टन के प्रतिवर्ष लगभग 300 ढाँचे तैयार किये जा सकते हैं । इसकी स्थापना रूस के सहयोग से संभव हुई है।
(vi) रासायनिक खाद या उर्वरक उद्योग - भारत में उर्वरक उद्योग तीन क्षेत्रों में विभक्त हैं- (i) सार्वजनिक (ii) सहकारी क्षेत्र (iii) निजी क्षेत्र ।
भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्रों में भारतीय ऊर्वरक निगम की स्थापना की थी। इस निगम ने 1951 में सिन्दरी नामक स्थान पर विशाल कारखाने की स्थापना की थी। इसमें नाइट्रोजन तथा फास्फेट खाद बनायी जाती है । हिन्दुस्तान फटिलाइजस लिमिटेड के अधीन बरौनी में एक कारखाना स्थापित किया गया है। यहाँ सभी प्रकार की खाद बनाने की 4 लाख टन की वार्षिक क्षमता है।
(vii) चीनी उद्योग - चीनी उद्योगों का विकास बिहार के उत्तर - पश्चिमी भाग के मैदानी क्षेत्रों में है। बिहार भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में है। अतः यहाँ उत्पादित गन्ने का 80 % भाग गुड़ या चीनी में बदल दिया जाता है । यहाँ चीनी उद्योग की 28 मिलें हैं। बिहार में चीनी उद्योग मुख्यतः चम्पारण , सारण , मुजफ्फरपुर , दरभंगा , गया तथा पटना में केन्द्रित है।